GDP Growth Rate

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GDP Growth Rate: मोदी सरकार भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने चली थी, लेकिन उनकी कूनीतियों ने देश की अर्थव्यवस्था को डूबा दिया. अब मोदी सरकार कितना भी खुद का प्रचार प्रसार कर ले, लेकिन अर्थव्यवस्था की जो असल हालत है, वो छुपा नहीं सकती है. मोदी सरकार की तरफ से पेश किए गए आंकड़े ही बताते हैं कि इस साल GDP ग्रोथ मात्र 6.4% होने वाली है. यह ना सिर्फ 4 साल में सबसे कम है, बल्कि कोरोना महामारी के बाद की सबसे निचली ग्रोथ रेट है.

इस गिरती GDP ग्रोथ का देश पर क्या असर होगा, मोदी सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है. देश की जनता की कमर महंगाई और बेरोजगारी से पहले ही टूटी हुई है. ऊपर से GDP ग्रोथ में आई ये भारी कमी उन्हें और आर्थिक तंगी में झोंक देगी. इसका देश के लोगों पर कितना कहर होगा, इसकी ना तो सरकार को, ना RBI को कोई सुध है और ना शायद कोई परवाह.

नवंबर 2024 की शुरुआत तक RBI 7.5% और सरकार 7.2% GDP ग्रोथ की उम्मीद करे बैठी थी. इन दोनों एजेंसियों के पास सारा इकोनोमिक डेटा और हाई फ्रैक्वेंसी इंडिकेटर हैं और उसके बावजूद भी यह इतने अनभिज्ञ कैसे हैं? यह इनकी अकर्मण्यता है या सच छिपाने की सोची समझी साज़िश.

देश को महंगाई की मार

सरकार के मंत्री और BJP वाले विशेषज्ञों पर कितना ही कटाक्ष कर लें लेकिन इस सरकार ने पूरे देश को कम ग्रोथ और कमरतोड़ महंगाई में झोक दिया है. जब सरकार आर्थिक तंगी की असलियत ही नहीं स्वीकारेगी तो समाधान क्या खाक ढूँढेगी. उपभोग हमारे GDP का 2/3 हिस्सा है, इसीलिए इसमें कमी का मतलब है आर्थिक मंदी का असर मध्यम वर्ग और गरीबों पर सबसे ज़्यादा है. लोग भोजन और शिक्षा जैसी आवश्यक वस्तुओं पर कम खर्च कर रहे हैं. प्राइवेट कंजम्पशन पर खर्च की ग्रोथ सिर्फ 6% रह गई है.

छोटे पैकेजों की बढ़ी मांग

FMCG कंपनियों ने इस बात की पुष्टि की है कि कैसे छोटे पैकेजों की मांग बढ़ी है, मतलब लोगों के पास ज़रूरी चीज़ें ख़रीदने के लिए पैसा नहीं है. मैन्युफ़ैक्चरिंग की ग्रोथ इस वर्ष केवल 5.3% रह गई है. यहां तक कि माइनिंग ग्रोथ भी एक वर्ष की अवधि में 7.1% से घटकर केवल 2.9% रह गई है. निर्यात (export) में गिरावट जारी है. इन सबके बीच निवेश का ठप्प होना लाजमी है. बदले की भावना से काम करने वाली ED, CBI जैसी एजेंसियों के दबाव में, भारतीय उद्योग जगत भले ही मोदी का गुणगान करता हो, लेकिन पैसा लगाने से तो उन्होंने बिल्कुल इनकार कर दिया है.

घरेलू बचत निचले स्तर पर पहुंचा

बेरोजगारी, कम आय, जबरदस्त टैक्स और कमरतोड़ महंगाई के कारण लोग अपनो भविष्य की बचत से खर्च करने को मजबूर हैं. घरेलू बचत 50 साल के सबसे निचले स्तर पर है. जेवर गिरवी रखने वालों की संख्या करीब 50% बढ़ गई है. लोग ऋण चुकाने में असमर्थ हैं, डिफ़ॉल्ट में 30% की वृद्धि हुई है. सेकेंड्री स्कूल के एडमिशन में गिरावट और विश्वविद्यालयों से बिना डिग्री के पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर छात्र भी आर्थिक बर्बादी का प्रमाण हैं.

मोदी सरकार नहीं वसूली सरकार

सूट बूट की इस सरकार में इनकम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स से कहीं ज़्यादा है. साधारण आटे, दही, दवाई, पढ़ाई, पॉपकॉर्न और यहां तक कि पुरानी कारों की बिक्री पर जमकर GST वसूला जा रहा है. पीएम मोदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है. मोदी सरकार उन वेबसाइटों को हटा सकती है, जहाँ डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में GDP की ज्यादा ग्रोथ लिखी थी! लेकिन वो ये कैसे झुठलाएगदी कि UPA (2004-14) के तहत औसत वार्षिक GDP ग्रोथ 7.5% थी, जबकि मोदी (2014-24) के कार्यकाल में ये काफी कम 6.5% रही है.

इस GDP ग्रोथ से नहीं चलेगा काम

प्रधानमंत्री और उनकी सरकार 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का जाप करती रहे – यह अलग बात है कि ऐसा होना तो 2022 में था और अब 2025 भी आ गया. लेकिन भारत को उस आंकड़े तक पहुंचने के लिए कम से कम 10% की वार्षिक GDP ग्रोथ चाहिए. सीना ठोकने और प्रोपेगेंडा फैलाने से आपको अंधभक्तों की तालियां और चरणचुंबक मीडिया की ओर से अहम मुद्दों पर सुई टपक सन्नाटा तो मिल सकता है. इसलिए अब सरकार को फैसला करना है कि क्या वो अर्थव्यवस्था को सुधारेगी या पूरे देश में खुदाई करा कर मुद्दों से भटकाती रहेगी? लेकिन भीषण बेरोजगारी, भयावह महंगाई और कम आय से जूझ रहे इस देश का काम 6.4% GDP ग्रोथ से कतई नहीं चलेगा.


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