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Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. इसे लेकर सभी पार्टियां तैयारी कर रही हैं. इस बीच भाजपा का चुनावी घोषणापत्र जारी करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ये 10 साल जम्मू-कश्मीर के लिए शांति और विकास के रहे हैं. उन्होंने कहा कि 10 साल सुख और समृद्धि का रास्ता प्रशस्त करने वाले रहे हैं. पर क्या सच में ये 10 साल जम्मू-कश्मीर के लिए वैसे रहे हैं, जैसा बीजेपी बता रही है. आइए जानते हैं इन 10 सालों में जम्मू-कश्मीर का क्या हाल रहा है.
जम्मू-कश्मीर में कैसे हैं हालात? (Jammu-Kashmir)
राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ शेख शोकात हुसैन कहते हैं कि अगर कश्मीर में हालात सामान्य हो जाएंगे, तो सबसे पहले कश्मीरी पंडित वापस आएंगे. लेकिन अभी पिछले 10 सालों में एक भी कश्मीरी पंडित कश्मीर नहीं लौटा है. जो इस बात का सबूत है कि जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में हालात सामान्य नहीं हैं.
डाउनटाउन कहे जाने वाले इलाकों में हालात कैसे हैं, इसके बारे में एक कश्मीरी बुजुर्ग ने कहा कि कोई सच बोलेगा तो शाम को उसे बंद कर दिया जाएगा. हमारी बात सुनने वाला भी कोई नहीं है. वहीं एक अन्य स्थानीय निवासी ने कहा कि यहां लोग डरे हुए हैं. अमन की बात हो रही है लेकिन अमन नहीं है.
सर्वे क्या कहते हैं?
जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) को लेकर जो सर्वे सामने आए हैं, उससे पता चलता है कि इस बार प्रदेश में कांग्रेस बहुमत से सरकार बना रही है. वहीं बीजेपी को लेकर सर्वे में कहा गया है कि बीजेपी से राज्य की जनता बेहद नाराज है. वहां की जनता बेरोजगारी और महंगाई से तो जूझ ही रही है, उसके बाद से आतंकवाद से सबसे ज्यादा त्रस्त है. हर दूसरे दिन आतंकी हमले हो रहे हैं. ऐसे में वहां की जनता का चैन से रहना मुश्किल हो गया है.
मीडिया भी नहीं आजाद
जम्मू-कश्मीर में मीडिया भी आजाद तरीके से काम नहीं कर पा रहा है. फहाद शाह, जो एक कश्मीरी पत्रकार हैं, उन्हें साल 2022 में आतंकवाद से जुड़े आरोपों के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था. करीब दो साल बाद जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद वो कहते हैं कि जब आम जनता में डर और घुटन होती है तो वो किसी हद तक मीडिया में भी आ जाती है क्योंकि आखिरकार मीडिया के लोग भी स्थानीय लोग ही हैं.
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