Kanchanjunga Express Accident: देश को एक बार फिर एक रेल हादसे ने झकझोर कर रख दिया है. इस बार (सोमवार, 17 जून) हादसा पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी के पास स्थित रंगापानी स्टेशन पर हुआ है. हादसे में 15 लोगों की मौत हो गई, जबकि करीब 60 लोग घायल हैं. इन सब के बीच विपक्ष लगातार एक सवाल उठा रहा है. सवाल रेलवे की उस तकनीक को लेकर है, जिसका डेमो कुछ वक्त पहले दिखाया गया था. सवाल उठ रहे हैं रेलवे के कवच प्रोजेक्ट को लेकर, जिसे रेलवे ने जीरो एक्सीडेंट टार्गेट हासिल करने के लिए लॉन्च किया था.
अश्विनी वैष्णव से पूछे जा रहे सवाल
हादसे के बाद से रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का कवच प्रोजेक्ट को समझाते हुए एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है. सोशल मीडिया पर यूजर्स पूछ रहे हैं कि इस कवच प्रणाली का क्या हुआ ? इस रेल हादसे की जिम्मेदारी किसकी बनती है. इससे पहले ओडिशा के बालासोर में भी पिछले साल भीषण रेल हादसा हुआ था. तब तीन ट्रेनों के बीच टक्कर हुई थी, जिसमें करीब तीन सौ लोगों ने जान गंवाई थी. जबकि हजारों लोग घायल हुए थे. इस हादसे के बाद भी लोगों ने कवच प्रोजेक्ट को लेकर सवाल उठाया था.
तब भी रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने अपने विभाग की जिम्मेदार से पल्ला झाड़ते हुए कहा था कि इस रूट पर कवच सिस्टम नहीं लगा था. इसका एक डेमो इस साल की शुरुआत में भी दिखाया गया था, जिसमें आमने-सामने आने पर दो ट्रेनें अपने आप रुक जाती हैं. अब इस हादसे के बाद भी रेवले का यही रटा-रटाया बयान आ रहा है.
इस हादसे के बाद एनडीटी से बात करते हुए रेलवे बोर्ड के पूर्व कार्यकारी निदेशक प्रेमपाल शर्मा ने बताया, “अगर कवच को तैनात किया गया होता, तो इस तरह की दुर्घटना से बचा जा सकता था.
कवच क्या है?
कवच एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है, जिसे तीन भारतीय कंपनियों ने मिलकर बनाया है. रेलवे का दावा है कि वह लगातार इस प्रणाली को लेकर काम कर रहा है. हालांकि देश में होने वाले रेल हादसे कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. जानकारी के अनुसार, ये सिस्टम कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस का सेट है. इसमें रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइसेस को ट्रेन, ट्रैक, रेलवे सिग्नल सिस्टम और हर स्टेशन पर एक किलोमीटर की दूरी पर इंस्टॉल किया जाता है. ये सिस्टम दूसरे कंपोनेंट्स से अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रिक्वेंसी के जरिए कम्युनिकेट करता है.
जैसे ही कोई लोको पायलट किसी सिग्नल को जंप करता है, तो कवच एक्टिव हो जाता है. इसके बाद सिस्टम लोको पायलट को अलर्ट करता है और फिर ट्रेन के ब्रेक्स का कंट्रोल हासिल कर लेता है. जैसे ही सिस्टम को पता चलता है कि ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आ रही है, तो वो पहली ट्रेन के मूवमेंट को रोक देता है.
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