Chandrababu Naidu Oath Ceremony: चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर बुधवार को शपथ ले ली है. उनके शपथ ग्रहण समारोह में NDA घटक दल के नेता मौजूद थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, साउथ सुपरस्टार रजनीकांत और चिरंजीवी ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया. लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री और NDA गठबंधन के सहयोगी नीतीश कुमार इस कार्यक्रम में नजर नहीं आए. चंद्रबाबू नायडू के शपथ ग्रहण समारोह में नीतीश कुमार का ना होना, कई तरह की शंका पैदा करता है. नीतीश के इस फैसले पर विपक्ष की भी कई प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं.
NDA में नहीं चल रहा सब ठीक
बिहार की विपक्षी पार्टी राजद ने तो यहां तक कह दिया कि NDA के घटक दलों के बीच सब ठीक नहीं चल रहा है. RJD के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा, ” यह बिल्कुल साफ है कि एनडीए के अंदर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है.जब नीतीश कुमार के मन मुताबिक काम नहीं होता तो वो मौन धारण कर लेते हैं. किसी न किसी तरीके से वो इस बात का संकेत देते हैं.” एजाज अहमद ने उदाहरण देते हुए कहा कि ‘याद करिए जब पटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोड शो हुआ था तो नीतीश कुमार के हाथ में ‘कमल छाप’ थमा दिया गया था. इसके बाद नीतीश प्रधानमंत्री के नामांकन समारोह में नहीं पहुंचे थे.’
कांग्रेस प्रवक्ता ज्ञान रंजन ने भी चंद्रबाबू नायडू के शपथ ग्रहण में नीतीश की गैरमौजूदगी पर सवाल उठाए. ज्ञान रंजन ने कहा कि कैबिनेट गठन के दौरान विभागों के ठीक से बंटवारा ना होने के कारण यह स्थिति बन रही है. विभाग आवंटन के दौरान बिहार को दरकिनार किए जाने के बाद सभी की निगाहें नीतीश पर टिकी थीं. हमें पता था कि ऐसा होगा, लेकिन हमने कभी नहीं सोचा था कि यह इतनी जल्दी हो जाएगा. एनडीए लंबे समय तक सत्ता में नहीं रहेगा.’
JDU को कितने मंत्रालय मिले?
PM नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में बनी NDA की सरकार में 12 सांसदों वाले जेडीयू को दो मंत्रालय मिले हैं. इस वजह हर कोई सवाल कर रहा है कि क्या सच में नीतीश को इंडिया गठबंधन छोड़कर एनडीए में आने का फायदा हुआ है. दरअसल, नीतीश 4 सांसद पर 1 मंत्री पद के फॉर्मूले से अपनी पार्टी के लिए 3 मंत्रालय चाहते थे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिसके बाद लोग कह रहे हैं कि नीतीश कुमार नाराज हैं और कभी भी पाला बदल सकते हैं.
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