Nitish Kumar
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Nitish Kumar की मानसिक हालत पहले ही खराब हो चुकी है, उनके प्रति मुसलमानों के मन में खटास, एनडीए दलों के बीच टिकट के लिए खटपट, जंगलराज का लौटना और महागठबंधन के लिए लोगों के मन में सॉफ्ट कर्नर बनना. बीजेपी और एनडीए के घटक दलों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है… अब हालात ऐसे हैं कि बीजेपी भी नहीं चाहती कि नीतीश कुमार बिहार के सीएम पद पर बने रहें या फिर नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाए.
NDA ने बुलाई बैठक, Nitish Kumar की पार्टी नहीं हुई शामिल
NDA ने 26 मार्च को बैठक बुलाई है. यह बैठक दिल्ली में होना है. भाजपा सांसद संजय जायसवाल के आवास पर होने वाली बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बिहार प्रभारी विनोद तावड़े, बिहार के दोनों डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा और प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल भाग लेंगे. पर एनडीए में जितने दल शामिल हैं, वे सभी इस बैठक में हिस्सा लेंगे या नहीं. ये अभी तक तय़ नहीं हो पाया है.
बिहार में महागठबंधन की लहर, Nitish Kumar और NDA परेशान
बिहार में महागठबंधन की लहर तेज होती जा रही है. लालू यादव भी चुनावी बिगुल फूंक दी है. लालू यादव ने मोतिहारी में चुनावी बिगुल फूंकी है… जिसके बाद प्रदेश की जनता तैयार हो गई है कि इस बार भ्रष्ट बीजेपी समर्थित Nitish Kumar की सरकार को राज्य से बाहर फेंकना है और महागठबंधन की सरकार को बिहार में वापस लाना है.
खैर, मोदी सरकार ने इस लहर को धीमा करने के लिए लालू यादव के परिवार को कोर्ट-कचहरी में फंसाने की कोशिश की थी. पर ये हो नहीं हो पाया…
NDA गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर पड़ी फूट
हालत ये है कि उल्टा एनडीए के दलों में ही फूट पड़ती दिख रही है. फूट इसलिए क्योंकि एनडीए में जितनी पार्टियां है, वे अपने मन मुताबिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. चिराग पासवान का कहना है कि उन्हें कम से कम 60 सीटों पर चुनाव लड़ना है. तो हम पार्टी के संस्थापक जीतन राम मांझी का कहना है कि उन्हें कम से कम 40 सीटें दी जाए चुनाव लड़ने के लिए ताकि उन्हें कम से कम 20 सीट पर जीत मिल सके.
अब जब यही दोनों मिलकर 100 सीट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं तो सोचिए कि जदयू और बीजेपी कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा और जेडीयू के हिस्से में 121 और 122 सीटें गई थी, जिसमें से बीजेपी ने अपरने हिस्से से 11 सीटें मुकेश सहनी की पार्टी VIP को दी थीं तो वहीं Nitish Kumar का पार्टी जेडीयू ने जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा को अपने हिस्से में एकोमोडेट किया था… पर अब मामले में चिराग गुट की लोजपा भी शामिल है… जिसके चलते अब मामला यहीं फंस गया है बीजेपी और जेडीयू के लिए…
Nitish Kumar के मानसिक संतुलन पर भी बैठक में होगी चर्चा
बात तो ये भी है कि नीतीश कुमार मानसिक संतुलन खो बैठे हैं. कभी वह बीजेपी नेताओं के पैरों में गिरने लगते हैं तो कभी नरेंद्र मोदी के पैरों में नागिन डांस करने लगते हैं. तो कभी मोदी की उंगलियां गिनने लगते हैं तो कभी राष्ट्रगान का अपमान करने लग जाते हैं.
इतने में नीतीश कहां रूकते हैं, वे तो महिलाओं को लेकर अभद्र टिप्पणी और हरकतें भी करने लग जाते हैं… इस बात से भी एनडीए की मुश्किलें बढ़ी हैं. अब ऐसा माना जा रहा है कि दिल्ली में जो बैठक होने वाली है एनडीए की, उसमें Nitish Kumar के मानसिक संतुलन और सीट शेयरिंग का मुद्दा उठ सकता है…
Nitish Kumar की सरकार में लौट आया जंगलराज
लगता है कि Nitish Kumar के नेतृत्व में डबल इंजन सरकार ने राज्य की कानून व्यवस्था को छुट्टी पर भेज दिया है. आए दिन अपराधी अपराध कर जाते हैं और सरकार का प्रशासन मूंह ताकता रहता है. बिहार में बीते दिनों हत्याओं के इतने मामले सामने आ चुके हैं कि गिनती करना मुश्किल हो गया है. केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय के भांजे की गोली मारकर हत्या कर दी गई. केंद्रीय मंत्री राज भूषण निषाद के मामा को गोली मार दी गई.
तो वहीं जदयू विधायक दामोदर रावत की चचेरी बहू की हत्या कर दी गई. पटना में हॉस्पिटल डायरेक्टर की गोली मारकर हत्या, वैशाली में लूट का विरोध करने पर NRI की गोली मार कर हत्या. अररिया में पुलिस टीम पर हमले में एक पुलिसकर्मी की मौत. और तो और 14 मार्च को मुंगेर में विवाद सुलझाने गई पुलिस टीम पर हमला हो गया, जिसमे एक एएसआई की मौत हो गई.
आपको क्या लगता है, ये सारी बाातें Nitish Kumar की सरकार को पता नहीं होगा. पता होगा, पर नीतीश कुमार कुछ कर नहीं पाए. आखिर उसके लिए उनका मानसिक संतुलन भी तो सही रहना चाहिए. अब जब वही ठीक नहीं है तो प्रदेश के लोगों की सुरक्षा पर क्या ध्यान देंगे वो.
इनकी पार्टी के ही नेतागणों के परिवार पर हमले हो रहे हैं. Nitish Kumar की सरकार जब अपनों को ही सुरक्षित नहीं रख पा रही है तो वे प्रदेश की जनता की सुरक्षा क्या कर पाएगी…
Nitish Kumar के हाथों से गया मुस्लिम वोट बैंक
एनडीए गठबंधन को इस बात का भी डर सता रहा है कि नीतीश कुमार की झोला से मुस्लिम वोटर भी ना चले जाएं, क्योंकि जबसे Nitish Kumar की पार्टी जदयू ने वक्फ संशोधन बिल का समर्थन किया है, मुसलमान नीतीश से दूरी बनाने लगे हैं. आपको बता दें कि 23 मार्च को पटना में नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी से मुसलमान संगठनों ने दूरी बना ली थी.
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जेडीयू ने वक्फ संशोधन बिल का समर्थन किया था. पर अब मुसलमान जोकि नीतीश को देखना भी पसंद नहीं कर रहे हैं, वे किधर जाएंगे. साफ है कि नीतीश कुमार से नाराज मुसलमान वोट बैंक कांग्रेस की झोली में जाएगी.
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