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RSS के लोग हर दूसरे दिन भारत की संप्रभूता को चोट पहुंचाते हैं. आरएसएस की विचारधारा में पली-बढ़ी पार्टी बीजेपी भी भारत की अखंडता को तोड़ना चाहती है. एक तो ऐसे ही बीजेपी वाले महाराष्ट्र में नौटंकी पसारे हुए हैं… उपर से अब आरएसएस वाले भी इस नौटंकी में शामिल हो गए हैं…
RSS नेता ने मराठी भाषा को लेकर दिया विवादित बयान
RSS के वरिष्ठ नेता सुरेश भैयाजी जोशी ने एक बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि मुंबई की कोई एक भाषा नहीं है, यहाँ कई भाषाएँ हैं. मुंबई में आने वालों को मराठी सीखने की ज़रूरत नहीं है. सुरेश भैयाजी जोशी के इस बयान के बाद मुंबई में मराठी भाषा और सांस्कृतिक पहचान को लेकर राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है.
हालांकि इस मझधार में फंस कौन रहा है. महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडनवीस. जिन्होंने कहा था कि मुंबई में मराठी अनिवार्य है. बताओ, खुद की ही सरकार को आरएसएस वाले समंदर के उफान में फंसा रहे हैं.
आपको बता दें कि RSS नेता भैयाजी जोशी ने 5 मार्च को मुंबई के विले पार्ले में एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मराठी में कहा था, ‘मुंबई में एक भाषा नहीं है, मुंबई में कई भाषाएँ हैं. अलग-अलग इलाक़ों की अलग-अलग भाषाएँ हैं. उदाहरण के लिए, घाटकोपर की भाषा गुजराती है. इसी तरह, गिरगांव में आपको हिंदी बोलने वाले कम लोग मिलेंगे. वहाँ आपको मराठी बोलने वाले लोग मिलेंगे. मुंबई आने वाले लोगों को मराठी सीखने की कोई ज़रूरत नहीं है.
जोशी के बयान के बाद विपक्ष फडनवीस सरकार पर उठा रहा है सवाल
अब जोशी के बनाए इस दलदल में उनकी ही पार्टी बीजेपी की फडनवीस सरकार फंस गई है. क्योंकि विपक्ष सरकार को जमकर घेर रहा है. उद्धव गुट के शिवसेना नेता संजय राउत और विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने महायुति सरकार से पूछा, ‘क्या आप जोशी के बयान का समर्थन करते हैं? वहीं शरद पवार गुट के एनसीपी विधायक रोहित पवार ने कहा कि मुंबई की भाषा मराठी है. सरकार अपना रूख साफ करे कि वह RSS नेता जोशी के बयान से सहमत हैं या फिर नहीं.
फडनवीस ने कहा, “जोशी ने जो कहा, मैंने सुना ही नहीं”
आपको पता है जोशी के बयान को लेकर फडनवीस ने क्या कहा है. उन्होंने कहा है कि उन्होंने जोसी का बयान ही नहीं सुना है. बताओ ऐसा भी हो सकता है क्या. महाराज आप RSS के वरिष्ठ नेता सुरेश भैयाजी जोशी के इस विवादित बयान को नहीं सुने, तब तो कुछ कहा ही नहीं जा सकता.
विवाद गहराने के बाद RSS नेता ने मांगी माफी
विवाद उठने के बाद RSS नेता भैयाजी जोशी ने 6 मार्च को सफाई भी दी है. उन्होंने कहा है कि मेरे एक बयान के कारण ग़लतफहमी हुई है, सवाल ही नहीं उठता कि मुंबई की भाषा मराठी नहीं है, महाराष्ट्र की भाषा मराठी है, मुंबई महाराष्ट्र में है और स्वाभाविक रूप से मुंबई की भाषा मराठी है.
हालांकि पहली बार नहीं है कि RSS के नेता माफी मांग रहे हैं. कईयों ने तो अंग्रेजों से भी माफी मांगी थी. आप ये भी जान लीजिए कि जोशी ने अपने बयान को कैसे घुमाया है. मापी मांगने के बाद उन्होंने ये भी बोला था कि मुंबई में अलग-अलग भाषाएँ बोलने वाले लोग रहते हैं. तो जोशी जी, देश के अलग-अलग हिस्से से लोग अगर मुंबई आ रहे हैं तो क्या उनके चलते मुंबई अपने सांस्कृतिक पहचान को को देगी. क्या अपनी विरासत को मिट्टी में दफना देगी.
देखिए, जबसे महाराष्ट्र में बीजेपी गठबंधन की सरकार आई है. हर दूसरे दिन राज्य में अलग-अलग मुद्दों पर तकरार बढ़ रही है. कभी शिंदे और फडनवीस की लड़ाई तो कभी पवार और फडनवीस की लड़ाई. ये लोग सरकार तो सही से चला नहीं पा रहे हैं. पर महाराष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत को नेस्तानाबूत करने का जरूर सोच लिए हैं.
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