भारत में करीब 90% स्टार्टअप फेल हो जाते हैं
Indian Startups Failure: भारत में स्टार्टअप का ट्रेंड जितनी तेजी से शुरु हुई, उतनी ही तेजी से स्टार्टअप बंद भी हुए हैं. 2016 में मोदी सरकार स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम लाई थी, जिसके बाद देश में तेजी से स्टार्टअप सेक्टर का विस्तार हुआ. लेकिन ये विस्तार ज्यादा दिन तक नहीं चल पाया. एक के बाद करके भारत की स्टार्टअप कंपनियां डूबने लगीं. इसका ताजा उदाहरण माइक्रो ब्लॉगिंग साइट कू है, जो शुरु होने के 4 साल बाद ही बंद हो गया.
4 साल में डूबी ‘कू’
2020 में लॉन्च हुई माइक्रो ब्लॉगिंग साइट कू के बारे में कहा जा रहा था कि ये भारत में ट्विटर (x) को टक्कर देगा, लेकिन सिर्फ 4 साल में ही कंपनी को बंद करने की नौबत आ गई. बताया गया कि फाइनेंस की चुनौतियों के कारण ऐसा हुआ है. कू के सह-संस्थापकों ने कहा कि साझेदारी के नाकाम प्रयासों और पैसा जुटाने में आ रही समस्याओं के कारण कू को बंद किया जा रहा है. सह-संस्थापक अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिदावतका ने नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर एक पोस्ट में कहा, ‘हमने कई बड़ी इंटरनेट कंपनियों, समूहों और मीडिया घरानों के साथ साझेदारी की संभावना तलाशी, लेकिन इन वार्ताओं से मनचाहा परिणाम नहीं निकल पाया.
असफल हो रहे स्टार्टअप?
भारत में करीब 90 प्रतिशत स्टार्टअप (Indian Startups) फेल हो जाते हैं. इसमें 10 प्रतिशत तो शुरु होने के पहले साल ही असफल हो जाते हैं.करीब 70 प्रतिशत स्टार्टअप 2-5 सालों में बंद हो जाते हैं. वहीं लगभग 33 प्रतिशत स्टारअप केवल 10 साल ही चल पाते हैं. आंकड़े बताते हैं कि अकेले 2023 में लगभग 35,000 स्टार्टअप बंद हो गए, जिससे करीब 20 हजार लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा.
स्टार्टअप फेल होने के कारण
- खराब प्रोडक्ट
- गलत मार्केटिंग स्ट्रैटेजी
- नगदी को बहुत जल्द खर्च कर देना
- रिसर्च न करना
- कर्मचारियों को बहुत जल्दी नियुक्त करना
- बजट न बनाना
- फाइनेंशियल दिक्कत
- टेक संबंधित समस्याएं
- लीगल समस्याएं
- अधिक प्रतिस्पर्धा
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