Bangladesh Reservation

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Bangladesh Reservation: बांग्लादेश बीते कुछ दिनों से हिंसा की आग में झुलस रह है. छात्र आरक्षण (Bangladesh Reservation) को खत्म करने की मांग कर रहे हैं. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने नौकरी में आरक्षण का फैसला वापस ले लिया है. बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को अपने फैसले में 93 प्रतिशत सरकारी नौकरियों को योग्यता के आधार पर आवंटित करने का आदेश दिया है जबकि शेष प्रतिशत 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले सैनिकों के परिवारों के लिए छोड़ दिया. अब तक ऐसी 30 प्रतिशत नौकरियां ऐसे लोगों के लिए आरक्षित थीं.

प्रदर्शन में 100 से ज्यादा लोगों की मौत

बांग्लादेश में आरक्षण (Bangladesh Reservation) को लेकर एक सप्ताह से हिंसक प्रदर्शन चल रहे हैं. इसमें सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है. एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, “सरकार ने सभी दफ्तरों और संस्थानों को बंद रखने के निर्देश जारी किया गया था. साथ ही देश में सख्त कर्फ्यू लगा दिया गया था. सरकार ने पुलिस को दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के निर्देश दिया था. पिछले एक हफ्ते में कम से कम 133 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, 4 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.”

प्रदर्शनकारियों पर बांग्लादेश पुलिस और सुरक्षा अधिकारी गोलियां और आंसू गैस के गोले दाग रहे हैं. वहीं, राजधानी ढाका में पिछले कई दिनों से सभी तरह के जमावड़े पर रोक लगी हुई है. सरकारी नौकरियों में आरक्षण (Bangladesh Reservation) को लेकर कई दिनों से चल रही खूनी झड़पों के बाद इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गई हैं.

शेख हसीना के बयान के बाद उग्र हुआ प्रदर्शन

गौरतलब है कि 14 जुलाई को प्रधानमंत्री शेख हसीना के आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब उनसे छात्रों के विरोध के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “अगर स्वतंत्रता सेनानियों के पोते-पोतियों को (कोटे का) लाभ नहीं मिलेगा, तो क्या रजाकारों के पोते-पोतियों को मिलेगा?” प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस बयान के बाद प्रदर्शनकारी छात्र और भी आक्रामक हो गए, जिससे पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति और बढ़ गई. जवाब में प्रदर्शनकारियों ने ‘तुई के? अमी के? रजाकार, रजाकार! (आप कौन? मैं कौन? रजाकार, रजाकार!) के नारे लगाने शुरू कर दिए.’

बता दें कि बांग्लादेश में आरक्षण (Bangladesh Reservation) खत्म करने के लिए पिछले कई दिनों से विरोध प्रदर्शन हो रहा है. विरोध प्रदर्शन करने वाला छात्रों की मांग है कि 1971 के युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों के बच्चों के लिए सरकारी नौकरी में आरक्षण खत्म होना चाहिए.

हालांकि, ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने इस आरक्षण को 7 दिनों के लिए रोक दिया था. लेकिन पीएम शेख हसीना ने ऐसा नहीं होने दिया. शेख हसीना के इसे लागू न हो देने के बाद छात्र प्रदर्शन करने लगे. वहीं, एक गुट चाहता है कि यह आरक्षण (Bangladesh Reservation) जारी रहे, जबकि दूसरा गुट इसे खत्म करना चाहता है. शेख हसीना सरकार ने 2018 में विरोध के बाद इस आरक्षण व्यवस्था को खत्म कर दिया था. अब जब मामला सुप्रीम कोर्ट में गया तो रविवार को वहां भी इसमें बदलाव कर दिया गया.

जानें किस-किस को मिल रहा आरक्षण

जानकारी के मुताबिक, बांग्लादेश में स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण (Bangladesh Reservation) मिलता है. इसके अलाना महिलाओं को 30% आरक्षण दिया जाता है. बांग्लादेश के अलग-अलग जिलों के लिए भी आरक्षण तय किया गया है. इस जिलों को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाता है और एथनिक माइनोरिटी जैसे संथाल, पांखो, त्रिपुरी, चकमा और खासी के लिए 6% आरक्षण है.लेकिन बांग्लादेश में हिंदुओं के लिए अलग आरक्षण नहीं है. इन सभी आरक्षणों को मिलाकर 56% होता है. इसके अलावा बचा 44% मैरिट के लिए रखा गया है.


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