Captain Anshuman Singh

'मेरा बेटा शहीद हो गया, बहु घर छोड़ चली गई, हमारे पास क्या बचा?'

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Captain Anshuman Singh: 6 जुलाई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया. यह पुरस्कार उनकी पत्नी स्मृति सिंह और उनकी मां मंजू देवी ने लिया था.सम्मान समारोह के दौरान शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी और मां काफी भावुक थीं. सास-बहू की एक साथ भावुक तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल भी हुई. लेकिन तस्वीरों में साथ दिख रहे इन लोगों के रिश्ते में दरार आ गई है.

बेटा भी गया और बहू भी चली गई

दरअसल, कैप्टन अंशुमान के पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा कि NOK के लिए जो मापदंड तय किए गए हैं, वे सही नहीं हैं. मैंने इस बारे में रक्षा मंत्री को भी अवगत करा दिया है. उनका कहना है कि उनका बेटा शहीद हो गया लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला. उनका कहना है कि सम्मान और अनुग्रह राशि (मुआवजा) सबकुछ बहू लेकर चली गई है. उन्होंने कहा है कि उनका बेटा भी गया है और बहू भी चली गई है.

कैप्टन अंशुमान के पिता ने कहा कि पांच महीने पुरानी शादी थी, कोई बच्चा नहीं है, माता-पिता के पास सिर्फ एक फोटो है जिस पर माला लटकी हुई है. इसलिए हम चाहते हैं कि NOK की परिभाषा तय हो. यह तय हो कि अगर शहीद की पत्नी परिवार में रहती है तो किस पर कितनी निर्भरता है. मैंने राहुल गांधी से भी यही मांग की है. उन्होंने आश्वासन दिया है कि वह राजनाथ सिंह से बात करूंगी. शहीद कैप्टन की मां मंजू ने कहा कि मेरे साथ जो हुआ वह ठीक है, लेकिन भविष्य में ऐसा किसी के साथ नहीं होना चाहिए.

क्या होता है NOK

NOK का पूरा नाम Next TO Kin है. यह कई तरह का होता है. किसी भी काम या सेवा में सबसे पहले इसे दर्ज किया जाता है. आसान शब्दों में कहें तो यह बैंक में नॉमिनी की तरह होता है. इसे कानूनी वारिस भी कह सकते हैं. यानी अगर सेवा में लगे किसी व्यक्ति को कुछ हो जाता है तो उसे मिलने वाली अनुग्रह राशि या उसे मिलने वाली सारी भुगतान राशि NOK को ही मिलेगी.

बता दें कि कैप्टन अंशुमान सिंह पिछले साल जुलाई में सियाचिन ग्लेशियर में 26 मद्रास में अटैचमेंट पर 26 पंजाब बटालियन के 403 फील्ड अस्पताल में रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर के पद पर तैनात थे. 19 जुलाई 2023 यानी बुधवार को सुबह 3.30 बजे शॉर्ट सर्किट से सेना के गोला-बारूद बंकर में आग लग गई. बंकर में कई जवान फंस गए. जवानों को बचाने के लिए अंशुमान सिंह बंकर में घुस गए, जहां वह बुरी तरह झुलस गए. चंडीगढ़ में इलाज के दौरान वह शहीद हो गए थे.


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