Hindenburg Report: हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Report) के खुलासे के बाद कांग्रेस ने सोमवार को सेबी प्रमुख माधबी बुच के इस्तीफे की मांग की है और सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह इस पूरे मामले की जांच सीबीआई या विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंपे. कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने अडानी मामले में सेबी द्वारा समझौता किए जाने की आशंका व्यक्त की और मांग दोहराते संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन की मांग की.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट शेयर करते हुए SEBI के 11 अगस्त के बयान का जवाब दिया. उन्होंने लिखा, अडानी ग्रुप के कुछ वित्तीय लेन-देन की चल रही जांच पर 11, अगस्त 2024 को जारी अपने बयान में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अपनी बेहद सक्रिय छवि पेश करने की कोशिश की है. SEBI ने अपने बयान में कहा है कि उसने 100 समन जारी किए हैं, 1,100 पत्र और ईमेल भेजे हैं, और 12,000 पृष्ठों वाले 300 दस्तावेजों की जांच की है. यह बेहद थकाने वाल रहा होगा, लेकिन इस बात से मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकता है.”
मुझे अभी तक कोई जवाब नहीं मिला: कांग्रेस नेता
हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) पर जयराम रमेश ने कहा, “14 फ़रवरी, 2023 को मैंने SEBI चेयरपर्सन को पत्र लिखकर SEBI से आग्रह किया था कि वह “भारत के वित्तीय बाज़ारों की निष्पक्षता में विश्वास रखने वाले करोड़ों भारतीयों की ओर से भारत के वित्तीय बाज़ारों के प्रबंधक के रूप में अपनी भूमिका निभाए”. मुझे अभी तक कोई जवाब नहीं मिला. अब 18 महीने बाद SEBI ने खुलासा किया है कि एक महत्वपूर्ण जांच, जो संभवतः इस बारे में है कि क्या अडानी ने न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता से संबंधित नियम 19ए का उल्लंघन किया है, अधूरी है.”
उन्होंने कहा, “SEBI, जिसे लंबे समय से एक भरोसेमंद वैश्विक वित्तीय बाज़ार नियामक माना जाता रहा है, अब जांच के दायरे में है. यह जानकर हैरानी होती है कि SEBI की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस स्थित उन्हीं अपारदर्शी ऑफ़शोर फंड्स में निवेश किया, जहां विनोद अडानी और उनके क़रीबी सहयोगियों चांग चुंग- लिंग और नासिर अली शाबान अहली ने भी निवेश किया था. इन फंडों का प्रबंधन अनिल आहूजा द्वारा किया जाता था, जो बुच के क़रीबी मित्र और अडानी एंटरप्राइज़ेज़ में 31 मई, 2017 तक एक स्वतंत्र निदेशक थे. इस अवधि के दौरान ही बुच SEBI में पूर्णकालिक सदस्य थीं.”
अडानी समूह में कोई निवेश नहीं किया (Hindenburg Report)
कांग्रेस नेता ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) पर सोशल मीडिया पर लिखा, “फंड मैनेजर 360 वन ने दावा किया है कि IPE प्लस 1 फंड ने अडानी समूह में कोई निवेश नहीं किया है लेकिन यह इस बात पर चुप है कि विनोद अडानी, चांग चुंग-लिंग या नासिर अली शाबान अहली बुच के साथ उस फंड में निवेशक थे या नहीं. यह ग्लोबल ऑपर्चुनिटीज़ फंड, ग्लोबल डायनेमिक ऑपच्युनिटीज फंड और IPE प्लस 1 फंड के बीच संबंधों को स्पष्ट करने में भी विफल रहा है.”
उन्होंने हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) मामले में लिखा, “यह स्पष्ट है कि अमृत काल में कोई भी संस्था पवित्र नहीं है. क्या SEBI केचेयरपर्सन ने अडानी मामले की जांच से ख़ुद को अलग किया? क्या हितों के टकराव की वजह से ही जांच में देरी हो रही है, जिससे अडानी और प्रधानमंत्री दोनों को फ़ायदा हुआ है जबकि SEBI की प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुंचा है? अगर अंपायर खुद समझौता कर ले तो मैच कैसे आगे बढ़ सकता है?”
कांग्रेस महासचिव ने कहा, “SEBI के समझौता करने की आशंका को देखते हुए संविधान द्वारा सशक्त सुप्रीम कोर्ट को जांच CBI या स्पेशल इन्वेस्टिगेटिंग टीम (एसआईटी) को सौंप देनी चाहिए. SEBI की पवित्रता को बहाल करने के लिए बुच को कम से कम अपने पद से इस्तीफ़ा देना चाहिए. हालांकि, अडानी महाघोटाला SEBI की जांच के दायरे में आने वाले 24 मामलों से कहीं अधिक आगे तक फैला हुआ है. इसमें अडानी ग्रुप में निवेश किए गए 20,000 करोड़ रुपए के बेनामी फंड के स्रोत, कोयला और बिजली उपकरणों में हज़ारों करोड़ रुपए की ओवर-इनवॉइसिंग और उस आय की लॉन्ड्रिंग शामिल है.”
जयराम ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) को लेकर कहा, “इसके अलावा, इसमें महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में अडानी ग्रुप को एकाधिकार प्रदान करना और श्रीलंका एवं बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में अडानी की संपत्तियों को सुरक्षित करने के लिए भारतीय विदेश नीति में हेरफेर करना शामिल है. अडानी महाघोटाले – जो कि नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और एक बायोलॉजिकल बिज़नेसमैन से जुड़ा है की पूरी तरह से जांच के लिए आगे का रास्ता यही है कि जल्द से जल्द एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) गठित की जाए.”
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