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RSS On Caste Census: बीजेपी के बाद अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने भी जातीय जनगणना को लेकर अपना मत साफ कर दिया है. सोमवार को अपने एक बयान में आरएसएस ने कहा कि चुनावी लाफ के लिए जातीय जनगणना नहीं होनी चाहिए. आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि हिंदू धर्म में जाति जनगणना एक संवेदनशील मामला है. इससे समाज की एकता और अखंडता को खतरा है. चुनाव से ऊपर उठकर इस पर विचार किया जाना चाहिए.
पलक्कड़ जिले में तीन दिवसीय समन्वय बैठक के पहले दिन मीडिया को संबोधित करते हुए आरएसएस ने कहा कि किसी की प्रगति के लिए जरूरी हो तो जाति जनगणना हो. सिर्फ चुनावी लाभ हासिल करने के लिए जातीय जनगणना (Caste Census) नहीं हो.
जातीय जनगणना पर क्या बोली RSS? (RSS On Caste Census)
आरएसएस ने कहा, “जातीय जनगणना बेहद संवेदनशील विषय है. इससे समाज की एकता और अखंडता को खतरा है. पंच परिवर्तन में इसको लेकर चर्चा की गई. हम बड़े पैमाने पर समरसता को लेकर काम करेंगे. हमारे समाज में जातिगत प्रतिक्रियाओं का मुद्दा संवेदनशील है और ये राष्ट्रीय एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन जातिगतण जनगणना का इस्तेमाल चुनाव प्रचार और चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए और खासतौर पर दलित समाज की संख्या जानने के लिए सरकार उनकी संख्या की गणना कर सकती है.”
कांग्रेस ने किया पलटवार (Congress On Caste Census)
वहीं आरएसएस के इस बयान पर कांग्रेस ने तुरंत पलटवार किया है. पार्टी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से पोस्ट कर कहा कि RSS ने जातिगत जनगणना का खुलकर विरोध कर दिया है. RSS का कहना है- जातिगत जनगणना समाज के लिए सही नहीं है. इस बयान से साफ है कि BJP और RSS जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहते. वे दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को उनका हक नहीं देना चाहते. लेकिन लिखकर रख लीजिए- जातिगत जनगणना होगी और कांग्रेस ये कराएगी.
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