Custodial Death in UP
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Custodial Death in UP: यूपी के आजमगढ़ का रहने वाला सनी कुमार अपने गांव की ही एक लड़की से प्यार करता था. ये प्यार उसके लिए तब भारी पड़ गया जब लड़की के परिवारवालों ने सनी के खिलाफ छेड़खानी का मामला दर्ज करा दिया. मामला दर्ज हुआ तो पुलिस ने शनिवार 29 मार्च को सनी को हिरासत में ले लिया. लेकिन इसके 24 घंटे बाद ही सनी की कहानी हमेशा के लिए खत्म हो गई. 30 मार्च की देर रात थाना परिसर के बाथरूम में सनी का शव फंदे से लटका मिला. पुलिस का कहना है कि सनी ने अपने लोअर के नाड़े से फांसी लगाकर अपनी जान दे दी. वो भी बाथरूम के 6 फीट ऊंची खिड़की से.
लेकिन पुलिस की इस कहानी पर किसी को यकीन नहीं हुआ. सनी के परिवार वाले थाने पहुंचे और जमकर हंगामा किया. परिवारवालों ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया है और अब न्याय की मांग कर रहे हैं. बवाल बढ़ता देख थाना प्रभारी सहित दरोगा और एक सिपाही को सस्पेंड कर दिया गया है.
बस्ती में हुई ऐसी घटना (Custodial Death in UP)
लेकिन आपको बता दें कि ये कोई पहला ऐसा मामला नहीं है, जब पुलिस कस्टडी में किसी युवक की जान चली गई है. अभी 4 दिन पहले भी ऐसा मामला सामने आया था. दरअसल बस्ती के दुबौलिया थाने में पुलिस कस्टडी में नाबालिग आदर्श उपाध्याय की मौत हो गई थी. जानकारी के अनुसार, 25 मार्च की शाम को दुबौलिया पुलिस ने आदर्श उपाध्याय को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने उसे पूरी रात लॉकअप में रखा. अगले दिन उसकी मां को बुलाकर उसे सौंप दिया गया.
परिवार का कहना है कि छोड़े जाने के समय आदर्श चल नहीं पा रहा था. घर पहुंचने के बाद आदर्श को खून की उल्टियां होने लगीं. परिजन उसे 108 एम्बुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए. वहां से डॉक्टरों ने उसे रेफर कर दिया, लेकिन कुछ देर बाद ही उसकी मृत्यु (Custodial Death in UP) हो गई. मामले ने तूल पकड़ा तो SHO को लाइन हाजिर, SI और सिपाही को निलंबित कर जांच कमेटी गठित की गई.
लखनऊ में मोहित पांडे कांड
पिछले साल अक्टूबर में लखनऊ से भी कुछ ऐसी ही खबर आई. मोहित पांडे को एक मामूली विवाद में लखनऊ की चिनहट पुलिस ने हिरासत में लिया था. इस दौरान मोहित की खूब पिटाई की गई, और जब हालत खराब हो गई तो उसको अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन मोहित (Custodial Death in UP) की जान नहीं बच सकी. घटना के बाद थाने के इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया और योगी सरकार और उनकी पुलिस की कार्यशाली पर खूब सवाल उठे.
कस्टोडियल डेथ के मामले में यूपी नंबर 1 (Custodial Death in UP)
ये तो सिर्फ गिने चुने मामले थे, जो चर्चा में आए. इन जैसे सैकड़ों मामले यूपी से लगातार आ रहे हैं. पुलिस हिरासत में मौतों (Custodial Death in UP) का मामला लगातार बढ़ता जा रहा है और इन मामलों में यूपी नंबर 1 है. आंकड़े देखें तो भारत में साल 2020 से 2022 के बीच पुलिस हिरासत में 4484 मौतें हुईं, जिनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में थी. उत्तर प्रदेश में 2021-22 में हिरासत में कुल 501 मौतें हुईं, जबकि 2020-21 में हिरासत में मौत के 451 मामले दर्ज किए गए.
यूपी पुलिस गढ़ती है कहानी (Custodial Death in UP)
योगी राज में यूपी पुलिस रक्षक से भक्षक हो चुकी है. लेकिन इसमें दोष केवल यूपी पुलिस का ही नहीं है. इसके लिए योगी सरकार भी उतनी ही जिम्मेदार है. योगी सरकार इन मामलों को गंभीरता से नहीं ले रही है. जब भी किसी थाने में पुलिस की हिरासत में कोई जान जाती है तो पुलिस पहले आत्महत्या की थ्योरी गढ़ती है लेकिन अक्सर उसकी यह थ्योरी अदालत तक पहुंचते-पहुंचते प्रमाणों के आधार पर फेल हो जाती है. मामला बढ़ जाता है तो थाने के प्रभारी और एक दो सिपाहियों को निलंबित कर दिया जाता है. बस मामला खत्म हो जाता है.
पुलिस बन जाती है खुद ही जज
पुलिस के अंदर किसी तरह का कोई डर नहीं रहता. वो अकसर कुछ मामलों में अभियुक्तों को हिरासत में लेती है और उनसे बिना कोर्ट की रिमांड के भी पूछताछ करती है. हालांकि नियम कहता है कि गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर अभियुक्त को किसी मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना है, लेकिन कई बार पुलिसवाले खुद ही कोर्ट बन जाते हैं और थाने पर ही पूछताछ शुरु कर देते हैं.
इस पूछताछ को रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जाता. इस दौरान अक्सर बल प्रयोग भी किया जाता है और कई बार अभियुक्तों की मौत हो जाती है. यूपी में आलम ऐसा हो गया है कि गिरफ्तारी के बाद ही अभियुक्त को यह डर सताने लगता है कि आगे क्या होगा?
अमीरों से नहीं लेती पंगे
एक और बात गौर करने वाली है. यूपी पुलिस ये हरकत सिर्फ गरीबों के साथ ही करती है. अमीरों से पंगे नहीं लेती. ऊंची पहुंच वालों को पुलिस वाले ना तो मार-पीट पाते हैं और ना ही उन्हें लंबे समय तक हिरासत में रख सकते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि यह गैर-कानूनी है और अदालत के पचड़े में आ जाएंगे. लेकिन गरीब और कम पढ़ा-लिखा तबका यह नहीं जानता. यूपी पुलिस इसी बात का पूरा फायदा उठाती है. उन्हें पता रहता है कि अगर कहीं फंस गए तो योगी सरकार तो है ही उन्हें बचाने के लिए.
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