AAP In Punjab

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AAP In Punjab: मुलाएजा फरमाएं ! वो आए थे सबसे कहकर कि मुजरा बंद करवाएंगे जनाब सिक्कों के खनक की आगोश में मदहोश होके मयखाना खोलकर खुदही वहां महफिल सजा बैठे.

दिल्ली में कुछ ऐसी ही स्थिती थी केजरीवाल की, जो अब खत्म हुई है. वो अलग बात है कि दिल्ली में एक भ्रष्टाचारी गया तो दूसरा आ गया. खैर, आपको याद है कि हमारे घर के बड़े-बुजुर्ग कहा करते थे कि, श-राब आप-को बर्बाद कर देती है वो भी हमेशा के लिए. इसी शराब ने आप यानी कि आम आदमी पार्टी को डूबा दिया. फिलहाल दिल्ली में और आगे पंजाब में.

पंजाब में आप (AAP In Punjab) की हालत गंभीर

पंजाब में आप (AAP In Punjab) की हालत गंभीर है, तभी तो साहेब फर्जीवाल जी से अपने सभी विधायकों और मंत्रियों को मिलने के लिए दिल्ली बुलाए हैं. मतलब कि केजरीवाल को डर लगने लगा है कि कहीं पंजाब में कोई उनकी ही पार्टी में एकनाथ शिंदे ना हो जाए. बस एक ही चुनाव हारते ही केजरीवाल पस्त हो गए हैं.

आपको बता दें कि केजरीवाल ने पंजाब से सभी विधायक ऐसे ही नहीं बुलाए हैं. पंजाब में शिकारी तैयार हैं. जैसे ही कबूतर दाना चुगने के लिए बैठा. समझ लीजिए की तभी धड़ लिए जाएंगे केजरीवाल के विधायक. क्योंकि कांग्रेस नजर गड़ाए हुए है पंजाब के आप विधायकों पर.

पंजाब में आप (AAP In Punjab) विधायक कांग्रेस के साथ संपर्क में

कांग्रेस नेता और पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने एक दावा किया कि आम आदमी पार्टी के 30 विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं. जैसे ही बाजवा के दावे की ये खबर केजरीवाल तक पहुंची. वैसे ही उन्होंने अपने सभी विधायकों को दिल्ली बुला लिया.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि पंजाब के अधिकतर आप विधायक सीएम भगवंत मान को पसंद नहीं करते हैं. अब क्योंकि मान, केजरीवाल के चरणचुंबक हैं तो वे आज मुख्यमंत्री हैं. मतलब कि पहले से ही पंजाब में भी केजरीवाल को खतरे की घंटे सुनाई देने लगी है. बाजवा के अलावा राज्य के कुछ अन्य कांग्रेस नेताओं ने भी AAP  विधायकों के अपनी पार्टी के संपर्क में होने की बात कही.

पंजाब में आप (AAP In Punjab) नहीं चला पा रही है सरकार

पंजाब में चुनाव तो जीत गई थी केजरीवाल की पार्टी लेकिन राजनीतिक सूझबूझ की आज भी भारी कमी है केजरीवाल और उनकी पार्टी आप में. क्योंकि अगर सूझ-बूझ अच्छी होती तो केजरीवाल समझ चुके होते कि पंजाब, चुनाव के बाद से ही स्थिर नहीं है. पंजाब के लोगों को नशे में धकेल कर, पंजाब को असुरक्षित कर केजरीवाल क्या सोच रहे थे कि वे वहां सरकार चला लेंगे. ये सोचना ही उनके लिए गलती थी.

अब तो केजरीवाल के पास दो ही रास्ते बचे हैं पंजाब मे. पहला कि वे कांग्रेस के साथ हो जाएं. दूसरा कि वो पंजाब भी अपने हाथों से जानें दें. अब ये बात भी हो गई, पर आम आदमी पार्टी को पहला ऑप्शन भी उतना ही सताने वाला है जितना कि दूसरा.

पंजाब में आप (AAP In Punjab) से हरियाणा का बदला लेगी कांग्रेस

आम आदमी पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ क्या किया था. कांग्रेस ने केजरीवाल को 5 सीटें ऑफर की. लेकिन फिर भी केजरीवाल ने कांग्रेस के खिलाफ लड़, वोट कटुआ का काम किया. जिससे कांग्रेस जीती हुई बाजी हार गई. दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने क्या किया. कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने से मना कर दिया. क्योंकि केजरीवाल को ओवर कॉन्फिडेंस था कि वे जीत जाएंगे, लेकिन हुआ क्या, केजरीवाल हार गए. उन्होंने दिल्ली को हाथ से गंवा दिय़ा और उनके घमंड के चलते आज दिल्ली की गद्दी पर कौन बैठा. ये सब जानते हैं.

तो फिर शायद ही कांग्रेस पंजाब में आम आदमी पार्टी को बख्शे. कांग्रेस नेता और पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा शायद गेम खेल सकते हैं. और उम्मीद जताई जा रही है कि जिस तरह से केजरीवाल को धोबी पछाड़ मिला ही दिल्ली में. उससे भी खतरनाक तरीके से पंजाब से भी आउट होंगे ये महाराज. घमंड ज्यादा दिन टिकता नहीं है. हां पल दो पल की खुशी जरूर मिल जाती है, पर ज्यादा दिनों तक नहीं.

आपको बता दें कि पंजाब की 117 सदस्यों वाली विधानसभा में आम आदमी पार्टी को 92 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी है उसके पास कुल 16 विधायक हैं. ऐसे में अगर आम आदमी पार्टी के 30-40 विधायक इधर उधर हुए तो आप समझ लीजिए कि गए केजरीवाल जी पंजाब से भी.


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