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Arvind Kejriwal: दिल्ली में चुनाव है, बिगुल बज चुका है. 5 फरवरी को मतदान होना है. 8 फरवरी को तय हो जायेगा कि दिल्ली की गद्दी कौन संभालेगा? ऐसे में सियासी पार्टियां एड़ी चोटी का जोर लगाने में जुट चुकी हैं. कई पार्टियां जनता पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान नजर आ रहीं हैं. जैसे की अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी. लोकलुभावन वादों में केजरीवाल की पार्टी ने सभी को पीछे छोड़ दिया है.
आम पार्टी पार्टी एक के बाद एक जुमला फेंकती जा रही है. लेकिन आज हम आपको 12 साल पहले ले चलेंगे. यह वही दौर था जब दिल्ली की आबो हवा बदल रही थी. गुलाबी सर्दी दस्तक दे चुकी थी. एक नाम, जो लोगों की जुबान पर चढ़ने लगा था. चर्चाएं होने लगी थी. लगने लगा था कि अब दिल्ली की तस्वीर बदल जाएगी. क्योंकि अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) नाम का एक गुमनाम शख्स बड़ी बड़ी बातें कर रहा था. लोगों को भरोसा दिला रहा था. खुद को दिल्ली का बेटा बता रहा था. उसकी बड़ी बड़ी बातें सुन दिल्ली की मासूम जनता ने साल 2013 दिल्ली की गद्दी पर केजरीवाल को बैठा दिया.
हालांकि, लोगों को इस बात का कहां अंदाजा था कि यह आदमी सिर्फ दिल्ली की गद्दी पाने के लिए बेताब था. उन्हें कहां पता था कि जिसे वे अपनी वोट की बदौलत सत्ता सौंप रहे हैं, उनके अंदर बेताबी है शीश महल का दीदार करने की. तभी तो सत्ता मिलने के 13 साल बाद भी दिल्ली की तस्वीर नहीं बदली. आज भी नालियां बजबजा रहीं हैं, यमुना मर चुकी है. सड़कें गद्दायुक्त हो चुकी है. अब दिल्ली की जनता को इस बात का एहसास हो चुका है कि जिस केजरीवाल ने आम आदमी की जिंदगी बदलने का फरेब रचकर दिल्ली की कुर्सी पर कब्जा जमाया था, वह धूर्त निकला. उसे सिर्फ अपने ऐशो आराम से मतलब है.
शीश महल के रिनोवेशन में खर्च किए करोड़ों
अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने तभी तो उसने अपने शीश महल के रिनोवेशन में 33 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर दिए हैं. इस शीश महल में 96 लाख के पर्दे, 39 लाख का किचन का सामान, 20 लाख का टीवी, 18 लाख का ट्रेडमिल और जिम का सामान,16 लाख का कारपेट 5 लाख का मिनीबार जैसी शानो-शौकत वाली चीजें लगवा रखा है. ये सब अरविंद केजरीवाल ने जनता के पैसों से किया.
ऐसे में अब लोग समझ चुके हैं कि बड़ी बड़ी बातें करने वाले केजरीवाल (Arvind Kejriwal) अब पलटीवाल बन चुके हैं. साफ है जो केजरीवाल आम आदमी की जिंदगी बदलने का वादा करके सत्ता में आए थे, उसी के पैसों से विलासिता का जीवन जी रहे हैं. वो जनता को लूटकर शीश महल में रह रहे हैं. और गरीबों के लिए हाड़ कंपाने वाली ठंड में एक रैन बसेरे का भी इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं.
Arvind Kejriwal के 10 फर्जी वादे
खैर आइए अब हम आपको बताते हैं कि केजरीवाल (Arvind Kejriwal) उन वादों को जिनके दम पर वह सरकार तो बना लेता है. लेकिन कभी उन वादों को पूरा नहीं करता. बीते 10 सालों में केजरीवाल ने ऐसे 10 वादे किए इन जिन्हें उसने अभी तक पूरा नहीं किया है…
पहला: अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलवाने का वादा किया था. जिसने उन्होंने अभी तक पूरा नहीं किया था. दूसरा: दिल्ली की सड़कों को यूरोपियन स्टैंडर्ड पर बनाना.. लेकिन केजरीवाल का ये वादा भी उनके शीश महल के आगे फीका पड़ गया. तीसरा: केजरीवाल हर विधानसभा चुनाव से पहले करते हैं कि इस बार सत्ता मिलने पर मैं यमुना को साफ कर दूंगा. लेकिन जब दिल्ली की जनता उन्हें सत्ता पर बैठा देती है तो वह अपना वादा भुलने में लाइम नहीं लगाते.
चौथा वादा: घर-घर में 24 घंटे साफ पानी आए. याद होगा कि कुछ दिनों पहले केजरीवाल (Arvind Kejriwal) सीएम आतिशी के साथ राजेंद्र नगर कालोनी में 24 घंटे पानी की सप्लाई शुरू की थी वहा उन्होंने नल से सीधे मुंह पानी भी पिया था ये तस्वीर भी निकलकर सामने आई थी. लेकिन उसी कालोनी के आस पास के रहने वाले लोगों ने ही बताया था था कि ये केजरीवाल चुनाव से पहले ऐसे नौटंकी करता है.
दिल्ली में ऐसे बहुत से इलाके हैं जहां 24 घंटे पानी के सप्लाई तो छोड़ दिए. उन लोगों को साफ पानी में नहीं मिलता. पांचवा वादा: दिल्ली को प्रदूषण मुक्त करने का वादा.. दिल्ली आज दुनिया भर के शहरों में सबसे प्रदूषित शहर हैं केजरीवाल ने वादा तो किया था कि दिल्ली की हवा को प्रदूषण मुक्त कर देंगे लेकिन आज भी दिल्ली के लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं.
छठा वादा: भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का वादा. ये बात तो किसी से छिपी नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने इसी वादे के साथ सबसे पहले दिल्ली की गद्दी पर बैठे थे लेकिन आज उनके साथ आम आदमी पार्टी का हर बड़े नेता पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा हुआ है.
यहां तक कि वह खुद दिल्ली में शराब घोटाले में जेल की हवा खा कर आ चुके हैं. सातवा वादा: आम आदमी की तरह रहने का वादा. वैसे तो केजरीवाल (Arvind Kejriwal) आम आदमी की तरफ दिखते तो जरूर हैं लेकिन उनके शोक किसी राजा महाराजा से कम नहीं है. वीडियो की शुरुआत में नहीं हमने उनकी राजशाही की पोल खोल दी है. कुछ महीने पहले उनका वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह डिनर करते हुए दिखाई दिये थे. इस वीडियो में आप उनके राज्य शाही खुद अपनी आंखों से देख सकते हैं.
आंठवा वादा: लोकपाल बिल लागू करने का वादा. अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने लोकपाल बिल लागू करने का वादा किया था जिसे वह अपने हर वादे की तरफ भूल चुके हैं. नवा वाद: कचरे का पहाड़ हटाएंगे. एक तरफ दिल्ली के लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं दुसरी तरफ दिल्ली में कचरे का पहाड़ है जो उसके आस पास के रहने वाले लोगों की जान का खतरा बना हुआ है. केचरे के इस पहाड़ से आस- पास रह रहे लोगों आए दिन बीमारियों को शिकार हो रहे हैं लेकिन केजरीवाल को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
दसवां वादा: किसी राजनीतिक दल से समझौता नहीं करेंगे. अब ये वादा आप कैसे भूल सकते हैं 2013 में केजरीवाल (Arvind Kejriwal) हर एक पार्टी को भ्रष्टाचारी बताते थे वो करते थे कि वह किसी राजनीतिक दल से कभी समझौता नहीं करेंगे. लेकिन आज वो अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए कांग्रेस, सपा, इंडिया गठबंधन के साथ समझौता कर रहे हैं. जिन्हें वह भ्रष्टाचारी बता कर सत्ता में आए थे उनके गले मिल रहे है. लेकिन अब दिल्ली की जनता को डिसाइड करना है कि वो ऐसे आदमी को सीएम बनाएगी जो भ्रष्टाचार को खत्म करने की बात करता था या फिर जो आज खुद ही सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी बन गया है.
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