Bengal Train Accident

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Bengal Train Accident: पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में हुए रेल हादसे के बाद कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलवार है. मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार से सात तीखे सवाल पूछे. मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जब भी कोई रेल हादसा होता है, मौजूदा रेल मंत्री जी कैमरों से लैस घटनास्थल पर पहुंच कर ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे सब कुछ ठीक हो गया हो.

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग कर कांग्रेस अध्यक्ष ने लिखा कि मोदी जी, बताइये किसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए, रेल मंत्री की या आपकी ?

इस दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार से सात तीखे सवाल भी पूछे. साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि इन सवालों का जवाब मोदी सरकार को देना पड़ेगा. तो चलिए आपको बताते हैं कि पार्टी ने सरकार से क्या सवाल पूछे हैं ?

1- बालासोर जैसे बड़े हादसे होने के बाद, बहुप्रचारित “कवच” सुरक्षा का एक भी किलोमीटर क्यों नहीं जोड़ा गया?

2- रेलवे में क़रीब 3 लाख़ पद खाली क्यों हैं, उनको पिछले 10 सालों में क्यों नहीं भरा गया?

3- NCRB (2022) रिपोर्ट के मुताबिक़ रेल हादसों में 2017 से 2021 के बीच ही 1,00,000 लोगों की मृत्यु हुई है ! इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा?
रेलवे बोर्ड ने हाल ही में खुद माना है कि मानव संसाधन की भारी कमी के कारण लोको पायलटों के लंबे समय तक काम करने के घंटे, दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण हैं. फिर पद क्यों नहीं भरे गये ?

4- संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 323वीं रिपोर्ट में रेलवे सुरक्षा आयोग (CRS) की सिफारिशों के प्रति रेलवे बोर्ड द्वारा दिखाई गई “उपेक्षा” के लिए रेलवे की आलोचना की थी। कहा था कि CRS केवल 8%-10% हादसों की जांच करता है, CRS को मज़बूती क्यों नहीं प्रदान की गई?

5- CAG के अनुसार ‘राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष’ (RRSK) में 75% फंडिंग काम क्यों की गई, जबकि हर साल ₹20,000 Cr उपलब्ध करवाने थे. इसका पैसा रेलवे अधिकारियों द्वारा ग़ैर-ज़रूरी चीज़ों के ख़र्च व आराम फ़रमाने वाली सहूलियतों पर क्यों इस्तेमाल किया जा रहा है?

6-आम स्लीपर क्लास (Sleeper Class) से रेल यात्रा करना हुआ बहुत महंगा क्यों हो गया है? स्लीपर क्लास की संख्या क्यों घटाई गई है?

रेल मंत्री ने हाल ही में रेल डिब्बों में “अधिक भीड़” करने वालों के खिलाफ पुलिस बल का इस्तेमाल करने की बात कही. लेकिन क्या उन्हें नहीं पता कि पिछले साल सीटों की भारी कमी के कारण 2.70 करोड़ लोगों को अपनी टिकटें रद्द करानी पड़ी, जो कि मोदी सरकार की डिब्बों की संख्या कम करने की नीति का सीधा परिणाम है?

7-क्या मोदी सरकार ने 2017-18 में रेल बजट का आम बजट में विलय किसी भी तरह की जवाबदेही से बचने के लिए किया गया था? जनता इसका जवाब चाहती है!

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