Sunita Williams

Sunita Williams

Share this news :

Sunita Williams, जो 9 महिनों तक अंतरिक्ष में फंसे रहने के बाद धरती पर सुरक्षित वापस लौट आई हैं. सुनीता 19 मार्च की सुबह साढ़े 3 बजे धरती पर वापस आई हैं. यह एक ऐतिहासिक पल है जो नासा और मस्क के स्पेसएक्स की टीम की कड़ी मेहनत से संभव हो पाया है, और हमारे देश की जनता मोदी सरकार बहकावे में आकर औरंगजेब की कब्र को हटाकर इतिहास का बदला लेना चाहती है.

अगर आप विकास की नजर से सुनीता विलियम्स के अंतिरक्ष से वापस आने को देखें तो आपको पता चलेगा कि औरंगजेब की कब्र को खोदने से बेहतर अंतरिक्ष में कीर्तिमान रचना ज्यादा बेहतर है. नाकि सरकार की चालबाजी का शिकार होने में.

Sunita Williams को ऐसे लाया गया धरती पर

आपको बता दें कि जब अंतिरक्ष से वापस आईं कैप्सूल से बाहर निकलीं तो उनके चेहरे पर घर वापसी को लेकर खुशी थी. समुद्र में स्पलैशडाउन से पहले नासा के अन्य कर्मचारी बोट से अंतरिक्ष यात्रियों को समुद्र में लेने पहुंचे थे. पैराशूट की मदद से स्पेस एक्स के ड्रैगन ने भारत के समय के अनुसार सुबह तीन बजकर 27 मिनट में लैंडिंग की थी.

इसके बाद वहां पहले से मौजूद सेफ्टी टीम ने रिकवरी शिप के जरिए एक-एक कर चारों अंतरिक्षयात्रियो को यान से बाहर निकाला. इस दौरान सबसे पहले क्रू-9 मिशन के कैप्टन निक हेग, रूस के अंतरिक्षयात्री एलेक्जेंडर गोर्बुनोव, उसके बाद Sunita Williams और बुच विल्मर बाहर आए.

18 हजार फीट पर खुला था Sunita Williams का ड्रैगन पैराशूट

आप यह भी जान लीजिए कि धरती से 18 हजार फीट की ऊंचाई पर सबसे पहले दो ड्रैगन पैराशूट खुले और उसके बाद 6000 फीट की ऊंचाई पर मेन पैराशूट ओपन हुआ. जिसके चलते ड्रैगन की पानी में कम स्पीड से Sunita Williams समेत बाकी अंतरिक्ष यात्रियों की लैंडिंग हो पाई. लैंडिंग के बाद 10 मिनट तक इंतजार किया गया और फिर सिक्योरिटी चेक के बाद कैप्सूल को खोला गया.

इसके बाद क्रू ड्रैगन कैप्सूल से बाहर निकाले गए और उन्हें स्ट्रेचर पर ले जाया गया, ये उनकी शुरुआती मेडिकल जांच का हिस्सा है. क्योंकि अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के बाद यात्रियों के शरीर पर असर होता है.

और भारत में औरंगजेब की कब्र पर मचा है बवाल

जहां अमेरिका और पूरा विश्व अंतरिक्ष की दुनिया में नए-नए कीर्तिमान रच रहा है. अंतरिक्ष में फंसी Sunita Williams को टेक्नोलॉजी के माध्यम से वापस लाया जा रहा है तो वहीं भारत की जनता औरंगजेब की कब्र से बदला लेने में लगी हुई है. कब्र को जलाने की उखड़कर फेंकने की या फिर संभाजी नगर से बाहर फेंकने पर अड़े हुए हैं. इन्हें देश के विकास, सांइंस की दुनिया में तरक्की नहीं पसंद है. इन्हें हिंदू-मुसलमान करना है.

नासा या फिर स्पेसएक्स या फिर हमारे इसरो की बुलंदतरीन कामयाबी से मतलब नहीं है. मोदी सरकार में अंधभक्तों को चाहिए तो सिर्फ और सिर्फ हिंदू-मुसलमान वाला कैप्सूल. उन्हें क्या जरूरत है ड्रेगन कैप्सूल से.

अगर आप मोदी सरकार के समय में भारत में रह रहे हैं तो भी आप स्ट्रैचर पर जाएंगे. क्योंकि सरकार की लोकतंत्र विरोधी गतिवीधि के चलते अंधभक्तों की मानसिक समस्याएं बढ़ गई हैं. देश का माहौल खौफ से भर गया है, क्योंकि मोदी सरकार के कुछ भाड़े के ट्टू हमेशा ही देश में सांप्रदायिकता की आग को फैलाने की साजिश में लगे रहते हैं.

हां वो अलग बात है कि जब दुनिया इतनी आगे जा रही है तो उसके स्वगात में हम पटाखे जलाएंगे, पूजा करेंगे और हवन करेंगे लेकिन खुद आगे कैसे बढ़ना है. वो तो आप भूल ही जाइए. इस सरकार के अंधभक्त मूर्ख हो चुके हैं.


Also Read

Grok ने खोले मोदी सरकार के पोल, गिना दिए पीएम के दिए जुमले

मोदी राज में 6.7 मिलियन बच्चों को पूरे दिन नहीं मिलता भोजन, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *