UP Health System

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UP Health System: उत्तर प्रदेश की डबल इंजन सरकार में न कानून व्यवस्था दुरुस्त है और न ही स्वास्थ्य व्यवस्था. हर रोज इसके हजारों उदाहरण देखने को मिल रहे हैं. कभी सड़क पर बिना इलाज और डॉक्टर के तड़पते मरीज का वीडियो वायरल होता है तो कभी किसी महिला का सड़क पर बच्चा जन्म देने की घटना सामने आती है. सरकारी अस्पतालों में इतनी खराब व्यवस्था है कि लोग वहां जाने से पहले हजार बार सोच रहे हैं. मौके पर न डॉक्टर्स मौजूद रहते हैं और न ही उचित मेडिकल उपकरण. इन सारी चीजों ने यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था को गर्द में डालने में काम किया है.

यूपी में 2400 लोगों पर मात्र 1 डॉक्टर (UP Health System)

बता दें कि उत्तर प्रदेश में ऐलोपैथिक डॉक्टर की संख्या 99 हजार 737 है. आबादी की बात करें तो यूपी लगभग 200 मिलियन लोगों के साथ देश में सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है. लेकिन यहां डॉक्टर्स की भारी कमी है. यूपी में 2400 लोगों पर मात्र एक डॉक्टर है. जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का नियम कहता है कि हर एक हजार की आबादी पर 1 डॉक्टर होना चाहिए. यानी राज्य में डॉक्टर्स अपनी क्षमता से ज्यादा मरीज देख रहे हैं. ये आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि यूपी में स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी बर्बाद है.

अस्पतालों में मिलता है घटिया क्वालिटी का खाना (UP Health System)

यही नहीं, सरकारी अस्पतालों (UP Health System) में मरीजों को ढंग का खाना भी नहीं मिल पा रहा है. समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी इस समस्या को उठा चुके हैं. अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि बलरामपुर के सरकारी अस्पतालों में प्रसूताओं को घटिया क्वालिटी का खाना दिया जा रहा है. जिसकी वजह से मरीज खाना लेने से मना कर दे रहे हैं और घर से अपना खाना मंगाने को मजबूर हैं.

इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में मरीजों के ठहरने की भी उचित व्यवस्था नहीं है. दूसरे जिलों से आने वाले मरीज बाहर खुले में लेटने को मजबूर हैं. कई ऐसे वीडियोज सामने आए जिसमें अस्पताल के बाहर या गैलरी में मरीज पड़े हुए दिखाई देते हैं. राजधानी लखनऊ के प्रसिद्ध अस्पतालों का भी यही हाल है.

शव घर ले जाने को नहीं मिलता वाहन

यहां तक कि शवों को भी घर पहुंचाने की ठीक व्यवस्था नहीं है. हाल ही में एक ऐसा मामले देखने को मिला था जहां एक युवक अपनी बहन के शव को बाइक पर ले जाने को मजबूर था. उसे अस्पताल से कोई वाहन नहीं दिया गया. यह अकेली ऐसी घटना नहीं है, इसके अलावा भी रोज हजारों ऐसी घटनाएं होती हैं जो सामने नहीं आ पाती हैं. इससे आम आदमी परेशान है, पर इस बात से मोदी सरकार और न ही राज्य की योगी सरकार को कोई फर्क पड़ता है.


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