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PM Modi PR: देश के युवाओं का भविष्य तबाह बर्बाद हो जाए, जनता भीख मांगने पर आ जाए, लेकिन प्रधानमंत्री का पीआर रुकना नहीं चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी जितने शौकीन महंगे सूट के हैं, उतने ही शौकीन महंगे पीआर के भी हैं. उनके लिए पीआर इतना जरूरी है कि वो इसके बिना एक दिन भी नहीं रह सकते. हम ये दावा यूं ही नहीं कर रहे हैं, अभी हम जो खबर बताने वाले हैं उसे सुनने के बाद आपको भी हमारी बात पर यकीन हो जाएगा. टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें पता चला है कि पिछले तीन सालों से 1963 में शुरू हुई ‘National Talent Search Examination’ Scholarship को बंद कर दिया गया है.
वो स्कॉलरशिप जिससे तमाम बच्चों के भविष्य का रास्ता बनता था, उनके लिए अच्छी शिक्षा के द्वार खुलते थे. PM Modi ने उसे बंद करा दिया. तीन सालों में इस स्कॉलरशिप पर 40 करोड़ रुपए खर्च होते, लेकिन इसे ना कर के पीएम मोदी ने अपने पीआर में 62 करोड़ रुपए खर्च किया. मतलब लाखों युवाओं के उज्जव भविष्य से ज्यादा जरूरी पीएम मोदी को अपनी छवि को चमकाना लगा,तभी तो उन्होंने इसपर 62 करोड़ खर्च दिए. ये पैसे जो देश की जनता के थे, देश के युवाओं के थे, उसे पीएम ने अपने फर्जी पीआर में उड़ा दिया.
इस रिपोर्ट में हुआ खुलासा
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार ने 62 करोड़ रुपए से ज्यादा परीक्षा पे चर्चा नाम के इवेंट पर खर्च कर दिया. ये इवेंट साल में एक बार होता है, जिसमें PM Modi स्कूली बच्चों को सलाह देते हैं कि परीक्षा की तैयारी कैसे करनी है. वहीं इन 3 सालों में नेशनल टैलेंट सर्च एक्जामिनेशन के जरिए स्कूली बच्चों को जो स्कॉलरशिप मिलते थे, उसे रोक दिया गया है. शिक्षा मंत्रालय ने इस परीक्षा को होल्ड पर डालने का आदेश दे दिया है. अगर ये स्कॉलरशिप जारी रहती, तो इसपर पिछले 3 सालों में 40 करोड़ से भी कम रुपए खर्च होते.
युवाओं की चिंता नहीं करते PM Modi
मोदी सरकार के इस फैसले से एक बात तो साफ हो गई है कि उन्हें देश के युवाओं के भविष्य की जरा भी चिंता नहीं है. जानकारों का तो यहां तक कहना है कि पीएम मोदी का परीक्षा पे चर्चा खुद की तारीफ करने और अपना पीआर करने का एक जरिया है सिर्फ. इसकी जगह अगर ये पैसे बच्चों के स्कॉलरशिप पर खर्च हुए रहते तो न जाने कितने छात्रों का भविष्य सुधर गया होता. पीएम मोदी का ये परीक्षा पे चर्चा प्रोग्राम जनवरी या फरवरी के महीने में दिल्ली में रखा जाता है, जहां अलग अलग शहरों और स्कूलों से लोगों को बुलाया जाता है.
यहां जनता के बीच से सवाल पूछे जाते हैं और PM Modi उनके जवाब देते हैं. ये सवाल पहले से डिसाइड कर लिए गए होते हैं. और इस पूरे प्रोग्राम का खर्चा भारत का शिक्षा मंत्रालय उठाता है. ये पैसे अगर शिक्षा मंत्रालय सही जगह लगाता तो आज युवाओं का भविष्य गर्द में नहीं होता.
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